इंटरनेट पर क्लिक करने और , मेरी इस कहानी को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। दोस्तों आपके सम्मुख आज मैं एक नई सच्ची और सत्य घटना पर आधारित एक कहानी लेकर आया हूं। जो कि शत-प्रतिशत मेरे ही जीवन से प्रेरित है। तो चलिए लिए शुरू करते हैं अपनी कहानी को।
संघर्ष के दिन
यह सन 2004 - 2005 के बीच की बात है। जब मैं नया-नया कॉलेज को पूर्ण करके दिल्ली शहर में नौकरी की तलाश में आया था। अब जैसा कि आप सभी को पता है कि जीवन के इस संघर्ष में आगे बढ़ने के लिए बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। स्वाभाविक रूप से मैंने भी दिल्ली जैसे शहर में जॉब ढूंढने के लिए बहुत संघर्ष किया और यह कहानी इन्हीं संघर्ष के दिनों की है। संघर्ष करते-करते एक महीना हो चुका था परंतु मेरी अभी भी कहीं अच्छी जॉब नहीं लगी थी।
यह सन 2004 - 2005 के बीच की बात है। जब मैं नया-नया कॉलेज को पूर्ण करके दिल्ली शहर में नौकरी की तलाश में आया था। अब जैसा कि आप सभी को पता है कि जीवन के इस संघर्ष में आगे बढ़ने के लिए बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। स्वाभाविक रूप से मैंने भी दिल्ली जैसे शहर में जॉब ढूंढने के लिए बहुत संघर्ष किया और यह कहानी इन्हीं संघर्ष के दिनों की है। संघर्ष करते-करते एक महीना हो चुका था परंतु मेरी अभी भी कहीं अच्छी जॉब नहीं लगी थी।
यद्यपि हम दो दोस्त एक कमरे को किराए पर लेकर रहते थे और किराया दोनों बराबर-बराबर शेयर किया करते थे। मेरे दोस्त की जॉब तो लग चुकी थी, परंतु अभी तक मेरी जॉब नहीं लगी थी। परन्तु मेरा संघर्ष अभी भी जारी था। मैं आप लोगों को यह बता देना चाहता हूं कि यह कहानी मेरे संघर्ष के बारे में नहीं है। इस कहानी में, मैं अपने संघर्ष के बारे में बात नहीं करूंगा बल्कि संघर्ष के उन दिनों में, मैं एक ऐसे लड़के से मिला जो कि मुझे जानता भी नहीं था और पहचानता भी नहीं था। इस कहानी में , मैं उस लड़के के बारे में बात करना चाहूंगा कि इस दौरान उस लड़के के साथ और मेरे साथ क्या घटना घटी?
इसे भी पढ़ें -मौत पर विजय
हुआ यूँ कि एक महीने के संघर्ष के बाद भी जब मुझे जॉब नहीं मिली तो मैं काफी परेशान हो गया था। मेरा जो दोस्त था वह हमेशा एक अच्छे मित्र की भांति मुझसे बात करता और मेरा ढांढस बढ़ाता। एक दिन शाम के समय मैं बाजार की तरफ गया और एक साइबर कैफे की तरफ बढ़ा। क्योंकि मुझे इंटरनेट पर जॉब सर्च करनी थी और अपना बायोडाटा इंटरनेट पर अपलोड करना था।
एक अनजान से मुलाक़ात
साइबर कैफे के अंदर कंप्यूटर पर बैठकर जॉब सर्च करने लगा। जॉब सर्च करते-करते 15 मिनट हो गए थे। ठीक मेरी दाईं तरफ एक लड़का बैठा था जो कि शायद अपने लिए जॉब सर्च करने के लिए ही इंटरनेट पर आया था। करीब 1 घंटा साइबर कैफे में बिताने के बाद मैं बाहर आ गया और मेरे साथ-साथ वह लड़का भी बाहर आ गया। और बाहर आकर उस लड़के ने मुझे एक बात बोली - "भैया आप यहां पर जॉब सर्च कर रहे हो क्या?" मैंने भी उत्तर दिया - "हां", "मैं जॉब की तलाश में हूं और अभी तक मुझे जॉब नहीं मिली है।"
साइबर कैफे के अंदर कंप्यूटर पर बैठकर जॉब सर्च करने लगा। जॉब सर्च करते-करते 15 मिनट हो गए थे। ठीक मेरी दाईं तरफ एक लड़का बैठा था जो कि शायद अपने लिए जॉब सर्च करने के लिए ही इंटरनेट पर आया था। करीब 1 घंटा साइबर कैफे में बिताने के बाद मैं बाहर आ गया और मेरे साथ-साथ वह लड़का भी बाहर आ गया। और बाहर आकर उस लड़के ने मुझे एक बात बोली - "भैया आप यहां पर जॉब सर्च कर रहे हो क्या?" मैंने भी उत्तर दिया - "हां", "मैं जॉब की तलाश में हूं और अभी तक मुझे जॉब नहीं मिली है।"
तो मैंने भी उत्सुकता वश उस से पूछ लिया कि- "क्या आप भी जॉब सर्च कर रहे हैं?" वह बोला "जी भैया मैं भी जॉब सर्च कर रहा हूं"। बात करते-करते पता चला कि वह लड़का भी मेरी ही तरह उत्तराखंड से आया है। वह टिहरी गढ़वाल का रहने वाला है। मैं तो उत्तराखंड के चमोली गढ़वाल से हूं परंतु वह लड़का टिहरी गढ़वाल से था। दोनों उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों से थे। तो मैंने भी ऐसे ही उससे पूछ लिया कि "भैया टिहरी गढ़वाल में किस गांव के हो" ? तो उसने अपने एक गांव का नाम बता दिया तो स्वाभाविक था कि मुझे पता नहीं था पर मैंने ऐसे ही पूछ लिया।
फिर बात करते-करते उस लड़के ने मुझे एक ऐसी बात बोली जिससे कि मैं थोड़ा सा हैरान हो गया था। उस लड़के ने मुझे बड़े प्रेम से कहा कि "भैया चलो चाय पीने चलते हैं"। मुझे सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह मुझे पहचानता नहीं है और न हीं यह मेरे किसी रिश्ते में लगता है । और यह मुझे कितने प्रेम से चाय के लिए पूछ रहा है ? पहले तो मुझे मन में शक हुआ कि कहीं यह चाय में कुछ मिलाकर मुझे बेहोश ना कर दे। पर फिर मैं मन ही मन हँस पड़ा और सोचने लगा अगर यह बेहोश कर भी देगा तो मुझ से क्या लूटेगा ? मेरे पास तो न तो पैसे हैं और ना ही कोई जेवर। मैं तो वैसे भी जॉब की तलाश में हूं और यह भी जॉब की तलाश में है तो यह मुझेसे क्या चोरी कर लेगा ? मेरी जेब में 100 - 200 रुपये पड़े थे। 100-200 के लिए ऐसा नहीं करेगा। मन ही मन में मैंने अपने आप को चाय के लिए तैयार कर लिया था।
और वैसे भी चाय की दुकान में सब लोगो के सामने यह मुझे कैसे बेहोश करेगा ? वहाँ तो सब लोग होंगे। पकड़ कर इसकी धुनाई कर देंगे। यह सारे प्रश्न मेरे दिमाग में चल रहे थे। तो मैंने भी उस से सीधे कहा - "हाँ चलो चाय पीते हैं । तो हम दोनों कुछ दूरी पर चलकर एक चाय की टपरी पर गए। और वहां पर चाय का आर्डर दिया। चाय पीते-पीते उस लड़के ने कुछ औपचारिक बातें पूछी जैसे कि "भैया आपका नाम क्या है? "आप कहां से आए हैं" ? "आप कितने पढ़े लिखे हैं"? और "आप किस इंडस्ट्री में काम करना चाहते हैं"? तो मैंने भी उसे सारी बातें सच-सच बता दी कि "मैं अमुक इंडस्ट्री में काम करना चाहता हूं" और "मैंने इस तरह की पढ़ाई की है" । उसके बाद उस लड़के ने भी अपने बारे में बातें बताईं कि " वह बी.ए. फाइनल कर चुका है और आईटीआई से उसने ऑटोमोबाइल में कोर्स -डिप्लोमा किया हुआ है"।
इसे भी पढ़ें -नई पीढ़ी का चरित्र निर्माण कैसे किया जाय ?
"तो उसी के तहत में यहां पर नौकरी के तलाश में आया हूँ" तो मैंने भी उससे पूछ लिया कि "भैया आप रहते कहां हो ? तो वह बोला कि "मैं यहां अपने चाचा जी के घर पर रहता हूं" और अभी फिलहाल मैं भी नौकरी की तलाश कर रहा हूं। कुछ देर बाद बात करने के पश्चात उस लड़के ने अब मुझेसे मेरा मोबाइल नंबर मांगा. मैं हँस पड़ा और बोला कि "दोस्त माफ करना मेरे पास मेरा अपना मोबाइल नंबर अभी नहीं है। "मैं अपने रिज्यूम में भी अपने दोस्त का मोबाइल नंबर लिखता हूं। जब भी कोई कॉल आती है तो वह दोस्त फिर मुझे घर आकर बता देता है। मुझे माफ करना मेरे पास अभी मेरा मोबाइल नंबर नहीं है। जब मेरी नौकरी लग जाएगी तो मैं एक नया फोन और एक नया नंबर लेकर फिर मैं आपसे बात करूंगा।
अनजान से जान पहचान
पर मैंने उससे बोला यदि आपके पास मोबाइल नंबर है तो आप अपना नंबर मुझे दे दो। उस लड़के ने बड़े प्यार से अपना मोबाइल नंबर मुझे दे दिया। बातों ही बातों में मैं उसका नाम पूछना भूल गया था। मुझे आज भी उसका नाम बड़े अच्छे से याद है उसका नाम दीपक महर था। मैंने भी उसको बताया कि मैं लक्ष्मण नेगी हूं और चमोली गढ़वाल का रहने वाला हूँ। अच्छा अब आश्चर्य के बात यह थी कि बहुत सारी बात करने के पश्चात उसे लड़के ने मुझे जाते-जाते ₹200 पकड़ा दिए ।
पर मैंने उससे बोला यदि आपके पास मोबाइल नंबर है तो आप अपना नंबर मुझे दे दो। उस लड़के ने बड़े प्यार से अपना मोबाइल नंबर मुझे दे दिया। बातों ही बातों में मैं उसका नाम पूछना भूल गया था। मुझे आज भी उसका नाम बड़े अच्छे से याद है उसका नाम दीपक महर था। मैंने भी उसको बताया कि मैं लक्ष्मण नेगी हूं और चमोली गढ़वाल का रहने वाला हूँ। अच्छा अब आश्चर्य के बात यह थी कि बहुत सारी बात करने के पश्चात उसे लड़के ने मुझे जाते-जाते ₹200 पकड़ा दिए ।
मैं एकदम से अचंभित हो उठा। मैंने पूछा अरे भाई मुझे ₹200 क्यों दे रहे हो ? वह बोला "भैया मैं समझ सकता हूं आपको मैं ₹200 दे रहा हूं तो आपको अजीब लग रहा लग रहा होगा" परंतु एक बेरोजगार इंसान की हालत कैसी होती है मैं अच्छी तरह समझ सकता हूं"। "मैं जानता हूं कि यह ₹200 बहुत नहीं है लेकिन यह आपकी कुछ मदद तो जरूर कर देंगे। तो मैंने भी तपाक से उसको जवाब दिया- "अरे भाई अगर मैं बेरोजगार हूं तो तुम भी तो बेरोजगार हो। तुम्हें भी तो पैसों की आवश्यकता है। तो तुम एक बेरोजगार होते हुए दूसरे बेरोजगार को पैसे क्यों दे रहे हो ? तुम अपना नुकसान क्यों कर रहे हो ।
तो उस लड़के ने जो जवाब दिया उसने मेरा दिल जीत लिया। उसने कहा "भैया मैं जानता हूं कि मैं भी बेरोजगार हूं और आप भी बेरोजगार हो लेकिन मैं आपको यह ₹200 इसलिए दे रहा हूं पहली बार की बेरोजगारी की पीड़ा क्या होती है ? वह मैं समझ सकता हूं लेकिन दूसरी जो बात है "भैया मुझे पता है कि आप अभी बेरोजगारी के उस दौर से गुजर रहे हो तो आपके पास पैसों की अभी कमी होगी" मैंने जरा हंसते हुए उससे पूछा कि भैया आपको कैसे पता कि मेरे पास पैसे की कमी होगी ? मैंने तो आपको बोला ही नहीं कि मेरे पास पैसे नहीं है।
तो वह बोला भैया "मैं आपको एक बात बोलूं" ? मैंने कहा बोलो। "भैया आप दिखने में बहुत अच्छे लगते हो" "एजुकेटेड हो" । बात व्यवहार में भी आप बहुत अच्छे हो और इंसान तो आप अच्छे हो ही वह मैंने आपको परख लिया है। परंतु भैया क्षमा करना मैं आपकी बुराई नहीं कर रहा हूं अभी दुकान में जब आपका पर्स नीचे गिरा और आपने जब पर्स उठाया था तो आपके पर्स पर मेरी नजर चली गई थी उसमे मात्र मुझे 200 रुपए दिखाई दिए। भैया बेरोजगार आप भी हो और बेरोजगार मैं भी हूं लेकिन मेरे जेब में अभी एक हजार रुपए पड़े हुए हैं और आपकी जेब में मात्र ₹200 तो मुझे लगा कि मुझे आपकी मदद करनी चाहिए।
मैं थोड़ा नाराज होकर बोला -" देख भाई मेरी जेब में यदि 200 रुपये पड़े हुए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि मुझे पैसों की जरूरत है। हो सकता कि मैं घर से पैसे ना लाया हूं। वह लड़का तपाक से बोला "भैया मैं समझ सकता हूं और मैं मानता हूं कि आप घर से पैसे ना लाए हो लेकिन भैया पता नहीं क्यों मेरे दिल के अंदर से आवाज आ रही कि मुझे आपकी मदद करनी चाहिए । मुझे आपको कुछ पैसे देने चाहिए। भैया ज्यादा तो मैं दे नहीं सकता हूं लेकिन मैं भी आपको ₹200 दे सकता हूं।
मैंने उसे जरा गुस्सा होकर बोला कि " भाई आप मुझे क्या भीख दे रहे हो ? तो वह तपाक से बोला -"नहीं-नहीं भैया पाप लगेगा अगर मैं ऐसा सोचूंगा भी"। "मैं आपको भीख नहीं आपकी मदद कर रहा हूं"। "भैया कल को आप अगर नौकरी लग जाओगे ना तो बेशक आप मुझे यह ₹200 वापस कर दीजिएगा। पर प्लीज भैया अभी ऐसा मत बोलिए कि मैं आपको भीख दे रहा हूं। मैं तो एक बड़े भाई की मदद कर रहा हूं। और यदि आपका कोई छोटा भाई होगा तो भैया आपके इस व्यवहार को देखकर और आपकी शख्सियत को देखकर देखना वह भी हमेशा आपकी मदद करने को तैयार रहेगा। क्योंकि मैं आप में अपने बड़े भाई को देख रहा हूं। उसकी बातों को सुनकर मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि "क्या दुनिया में आज भी ऐसे लोग होते हैं क्या?
इसे भी पढ़ें- क्या वास्तव में भूत-प्रेत होते हैं ?
भावनाओं में बहकर विश्वास कर लिया
उसकी इन भावनात्मक बातों को सुनकर मैं भी थोड़ा सा नरम हो गया। मैंने सोचा यार चलो ₹200 तो हैं कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। और वैसे भी मेरी जेब में पैसे सच में कम थे। तो मैंने भी उस से वह ₹200 बड़े प्यार से ले लिए। लेकिन उसको बोला कि "भाई नौकरी लगते ही मैं पहले फोन लूंगा , नया नंबर लूंगा और उस फोन से तुम्हें फोन करूंगा और तुम्हारे यह ₹200 वापस करूंगा। वह बोला बिलकुल भैया बिल्कुल। मैं तो यही चाहता हूं कि आप नौकरी लगें ,आप नया फोन ले नया नंबर ले , और फिर मुझसे बात करें। मैंने कहा ठीक है फिर और मैंने उससे वह ₹200 इसी शर्त पर लिए की एक दिन में उसको यह ₹200 वापस करूंगा।
उसकी इन भावनात्मक बातों को सुनकर मैं भी थोड़ा सा नरम हो गया। मैंने सोचा यार चलो ₹200 तो हैं कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। और वैसे भी मेरी जेब में पैसे सच में कम थे। तो मैंने भी उस से वह ₹200 बड़े प्यार से ले लिए। लेकिन उसको बोला कि "भाई नौकरी लगते ही मैं पहले फोन लूंगा , नया नंबर लूंगा और उस फोन से तुम्हें फोन करूंगा और तुम्हारे यह ₹200 वापस करूंगा। वह बोला बिलकुल भैया बिल्कुल। मैं तो यही चाहता हूं कि आप नौकरी लगें ,आप नया फोन ले नया नंबर ले , और फिर मुझसे बात करें। मैंने कहा ठीक है फिर और मैंने उससे वह ₹200 इसी शर्त पर लिए की एक दिन में उसको यह ₹200 वापस करूंगा।
और सच बोलो दोस्तों संघर्ष के उन दिनों में मुझे पैसों की आवश्यकता तो थी ही। अब घर से भी कितना मांगेंगे ? मांगने में भी शर्म आती थी तो वह ₹200 मेरे लिए उसे टाइम पर 2000 के बराबर थे। मैंने इसलिए दीपक से वह ₹200 प्रेम पूर्वक अपने पास रख लिए।
दोस्तों यहां तक की घटना से आप रूबरू हो गए होंगे। अब बात यह आती है कि एक अनजान लड़के ने मुझे ₹200 ऑफर किये। ₹200 देकर के वह वहां से चला गया। मैं भी वहां से अपने रास्ते हो लिया। परंतु वह ₹200 मेरे जेहन में आज तक भी पड़े हुए हैं। आज भी मुझ पर ₹200 का क़र्ज़ चढ़ा हुआ है। अब आप लोग सोचेंगे कि जब जॉब लग गया था तो मैंने उसको वह ₹200 वापस क्यों नहीं किये ? बताता हूँ।
दोस्तों इस घटना के चंद दिनों बाद मेरी जॉब लग गई थी। और ईश्वर की कृपा से अच्छी जॉब लगी थी। उसके बाद मैंने एक फोन लिया और साथ में एक नंबर भी लिया। और सबसे पहले मैंने तीन महत्वपूर्ण लोगो को - अपने माता-पिता को और तीसरा फोन मैंने दीपक को लगाया। क्योंकि उसका नंबर मेरी डायरी में लिखा हुआ था। मैंने उसको फोन लगाया तो पहले तो फोन काफी देर तक इंगेज आया लेकिन मैं बार-बार करता रहा तो किसी ने वहां से फोन उठाया और पूछा कि कौन बोल रहा है? वहां से किसी महिला ने पूछा तो मैंने भी उनसे कहा कि मैं दीपक महर से बात करना चाहता हूं। क्या उनसे बात हो सकती है? तो वह बोली कौन दीपक? मैंने कहा दीपक महर। जिनका यह नंबर है और वह इस गांव के रहने वाले हैं।
उन्होंने कहा भैया गांव तो ठीक है नंबर भी ठीक है। लेकिन कौन दीपक ? मुझे लगता है आपने रॉन्ग नंबर लगा दिया। मैंने तुरंत फोन काटा और सोचने लगा की दीपक ने यह मुझे गलत नंबर क्यों दे दिया ? पर नंबर गलत कैसे हो सकता है ? क्योंकि गांव भी सही है। नंबर भी सही है। लेकिन फोन कोई और उठा रहा है। तो कुछ देर बाद मैंने फिर उस नंबर पर फोन लगाया तो फिर किसी दूसरी महिला ने फोन उठाया।
उसकी असलियत अब पता चली
मैंने उनसे भी यही पूछा कि मुझे दीपक महर से बात करनी है। आप बात करा दीजिए। तो उस महिला ने कहा अच्छा "गुड्डू" से बात करनी थी आपको ? मैं थोड़ा असहज हो गया पर फिर बोला - जी गुड्डू नाम तो नहीं पता पर जो अभी 2-3 महीने पहले दिल्ली में अपने चाचा जी के यहां रहने आया था नौकरी के बहाने। हाँ हाँ बेटा दीपक को घर में "गुड्डू" बुलाते थे। उसको सब गुड्डू के ही नाम से जानते हैं। दीपक तो उसका स्कूल का नाम था। मैं थोड़ा सहम सा गया था। "था" का क्या मतलब ?
मैंने उनसे भी यही पूछा कि मुझे दीपक महर से बात करनी है। आप बात करा दीजिए। तो उस महिला ने कहा अच्छा "गुड्डू" से बात करनी थी आपको ? मैं थोड़ा असहज हो गया पर फिर बोला - जी गुड्डू नाम तो नहीं पता पर जो अभी 2-3 महीने पहले दिल्ली में अपने चाचा जी के यहां रहने आया था नौकरी के बहाने। हाँ हाँ बेटा दीपक को घर में "गुड्डू" बुलाते थे। उसको सब गुड्डू के ही नाम से जानते हैं। दीपक तो उसका स्कूल का नाम था। मैं थोड़ा सहम सा गया था। "था" का क्या मतलब ?
आप कौन हैं ? वहाँ से आवाज़ आई। मैंने कहा मैं दिल्ली से उनका दोस्त बोल रहा हूं। दीपक का जो मोबाइल नंबर मेरे पास था वह उत्तराखंड का था वह दिल्ली का नंबर नहीं था। शायद इसलिए बार-बार उसको कभी उसकी माता जी या कभी कोई और उठा रहा था। तो मैं उन महिला से बोला -आप कौन बोल रही है? तो वे बोली कि मैं गुड्डू की मां बोल रही हूं। मैंने भी झट से कहा आंटी जी नमस्ते,मैं लक्ष्मण बोल रहा हूं दिल्ली से। मैं दीपक का दोस्त हूं। मेरी दीपक से बात करा दीजिए। लेकिन मन में अजीब सा डर बैठ गया था।
वह बोली- "बेटा तुम अगर दीपक के दोस्त हो तो तुम्हें दीपक के बारे में पता नहीं है" ? मैंने कहा नहीं आंटी जी मैं तो आज ही उसको फ़ोन लगा रहा हूँ। दीपक की मम्मी वहां से बोली "बेटा अब तुम दीपक (गुड्डू) से कभी बात नहीं कर पाओगे"। मैंने पूछा क्यों क्या हो गया ? तो वह बोली बेटा दीपक (गुड्डू) अब इस दुनिया में नहीं रहा। उसकी 20 दिन पहले एक रोड-लैंडस्लाइड में मौत हो गई।
यह सुनकर मैं आवक रह गया, दिल में एक अजीब सा दर्द उठा और तुरंत ही दीपक का चेहरा मेरे सामने आ गया। उसका वह मुस्कुराता हुआ चेहरा जो कभी मुझे चाय पीने के लिए ऑफर कर रहा था। जो कभी मुझे ₹200 देने के लिए सिर्फ इसलिए उद्धत था कि उसको मुझ में अपना बड़ा भाई नजर आ रहा था। मैं अभी अपनी सोच में डूबा ही था कि वहाँ से ऑन्टी जी बोली - "अच्छा बेटा रखती हूँ " मैं चुपचाप ,सुन्न ,आवाक और निशब्द था।
एक ऐसा इंसान जो इस दुनिया में लोगों के लिये आया था, दूसरों का दुःख बांटने आया था। वही दीपक आज दुनिया में नहीं है। यही सोच कर मेरा दिल बैठ गया। कुछ देर तक मैं मायूस हुआ,उदास हुआ, पर कुछ देर बाद अपने आप को संभालने के बाद मैं थोड़ा सजग हुआ। तो मेरे साथ में दोस्त ने मुझसे पूछा कि क्या हो गया तू इतना चिंतित क्यों लग रहा है ? तो उसको मैंने पूरी कहानी बताई। वह भी उस कहानी को सुनकर मायूस हो गया और बोला - हाँ यार ऐसे बहुत कम लोग होते हैं दुनिया में। अब मेरे दिमाग में यह चल रहा था कि अब यह ₹200 मेरे पास कैसे रहेंगे ? मैं इन ₹200 को किसको दूं? दीपक की माता जी को फोन कर मैं यह भी नहीं कह सकता है कि माताजी दीपक से मैंने ₹200 लिए थे यह ₹200 आप ले लो। अजीब सा लगेगा।
इसे भी पढ़ें- अपराध किया है तो सजा मिलेगी ही
₹200 वापस करने के लिए फोन करना मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। तो मैं वे ₹200 वापस नहीं कर पाया । यकीन मानों दोस्तों आज भी वह ₹200 मेरे पास ही हैं। एक बोझ की तरह। एक कर्ज की तरह। एक बड़ा सा गड्ढा है ,उस गड्ढे के अंधकार की तरह वह ₹200 आज भी मेरे पास, मेरे मन मस्तिष्क में कर्ज के रूप में पड़े हुए हैं। मैं सोचता हूं कि उस लड़के ने वह ₹200 उसे मुझे दिए, बिना जान पहचान के, बिना किसी रिश्तेदारी के, सामने से आकर उसने वह पैसे मुझे दिए भी हैं तो सिर्फ और सिर्फ एक अच्छे हृदय से क्योंकि दीपक का हृदय बहुत सुंदर था।
मुझे आज भी रोना आता है
उसका मन बहुत सुंदर था। उसने सिर्फ और सिर्फ एक बेरोजगार लड़के की मदद करने की सोची। और ऐसा दिल हजारों में से किसी एक के पास ही होता है। जब भी मेरे पास ₹200 का जिक्र आता है। मेरे मन में, मस्तिष्क में दीपक का चेहरा तुरंत नजर आ जाता है। और जब उसने यह ₹200 मुझे दिए थे ना उसके बाद उसने मुझे एक बात बोली थी -कि भैया चार-पांच दिन बाद बहन की शादी है। आपको मेरी बहन की शादी में जरूर आना है। मैंने भी उसे वक्त ऐसे ही जवाब दे दिया , हां मैं आ जाऊंगा, कोशिश करूंगा। मुझे पता था कि उससे मेरी न तो जान पहचान , मैं कहां किसी की शादी में जाऊँगा ?लेकिन उसका मुझे अपनी बहन की शादी में आमंत्रित करना एक अजीब सी एनर्जी लिए हुए था। एक अपनापन लिए हुए था। आज ऐसा महसूस हो रहा था कि वह दिल से मुझे पुकार रहा था। दिल से मुझे कह रहा था कि "भैया आपको मेरी बहन की शादी में जरूर आना है"।
उसका मन बहुत सुंदर था। उसने सिर्फ और सिर्फ एक बेरोजगार लड़के की मदद करने की सोची। और ऐसा दिल हजारों में से किसी एक के पास ही होता है। जब भी मेरे पास ₹200 का जिक्र आता है। मेरे मन में, मस्तिष्क में दीपक का चेहरा तुरंत नजर आ जाता है। और जब उसने यह ₹200 मुझे दिए थे ना उसके बाद उसने मुझे एक बात बोली थी -कि भैया चार-पांच दिन बाद बहन की शादी है। आपको मेरी बहन की शादी में जरूर आना है। मैंने भी उसे वक्त ऐसे ही जवाब दे दिया , हां मैं आ जाऊंगा, कोशिश करूंगा। मुझे पता था कि उससे मेरी न तो जान पहचान , मैं कहां किसी की शादी में जाऊँगा ?लेकिन उसका मुझे अपनी बहन की शादी में आमंत्रित करना एक अजीब सी एनर्जी लिए हुए था। एक अपनापन लिए हुए था। आज ऐसा महसूस हो रहा था कि वह दिल से मुझे पुकार रहा था। दिल से मुझे कह रहा था कि "भैया आपको मेरी बहन की शादी में जरूर आना है"।
"अगर आप आओगे तो मुझे बहुत खुशी होगी" अगर "नहीं आओगे तो मुझे बड़ा दुख होगा"। उसकी यह कुछ बातें ऐसी थी जो आज मुझे 2025 में सोचने पर मजबूर करती है कि "क्या दीपक का और मेरा कोई ऐसा रिश्ता था ? जो पहले जन्म का हो ? शायद इस जन्म में वह मेरे पास आया, मुझे चाय पिलाई, मुझे ₹200 भी दिए और अपनी बहन की शादी में आने के लिए आमंत्रित भी किया। ऐसा तो कोई सिर्फ अपनों के साथ करता है ना ,जो की रिश्तेदार हो, कोई अपना हो, कोई जानने वाला हो ,कोई दोस्त हो,। इनमें से दीपक के साथ मेरा कुछ भी रिश्ता नहीं था ,लेकिन उसने मुझे अपनेपन से चाय पिलाई, ₹200 दिए और यहां तक की अपनी बहन की शादी में मुझे आमंत्रित भी किया।
आज इस बात को लगभग 20 साल से ऊपर हो गए हैं। तो दीपक भैया आप आज इस ब्रह्मांड में कहीं भी हो , किसी भी रूप में हो, या किसी भी जन्म में हो ,मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं , कि तुम हमेशा खुश रहो। और मैं चाहता हूं भगवान करे तुम्हें आज भी वैसा ही हृदय मिले जैसा आज से 20 साल पहले तुम्हारे पास था। तुमने मेरे लिए जिस हृदय से और उसकी भावनाओं से मिलकर मुझे चाय पिलाई थी, ₹200 दिए थे ,और मुझे अपनी बहन की शादी में आमंत्रित भी किया था वही ह्रदय वाले साथी भी आपको मिलें। तुम हमेशा खुश रहो दीपक. और यदि ईश्वर ने चाहा तो तुम मुझे इस जन्म में या आने वाले जन्म में जरूर मिलना। और मैं चाहूंगा कि तुम मेरे छोटे भाई बनकर मेरे साथ जरूर आना। यही मेरी इच्छा है। क्योंकि तुम जैसे लड़के, तुम जैसी सद-आत्माएं, तुम जैसे पवित्र हृदय के मानव इस दुनिया में मिलना बहुत ही कठिन है।
ईश्वर आपकी रक्षा करें !
कहानी का सार - इस कहानी का सार यही है कि एक सच्चा ,शुद्ध एवं पवित्र ह्रदय सबको रखना चाहिए। दुनिया में आना-जाना तो लगा रहेगा परन्तु एक पवित्र ह्रदय ही आपको इस दुनिया में लोगो कि यादाश्त में जीवित रखेगा। इसलिए हमेशा दूसरों कि भलाई के बारे में ही चिंतन किया करें।
आपको कहानी कैसी लगी जरूर बताइयेगा
Tags
सामान्य कहानियां