डॉ. मलिक एवं डॉ. खुराना एक ही बैच के बहुत सीनियर साइंटिस्ट थे। यहां तक की दोनों साइंटिस्ट एक ही कंपनी की अलग-अलग लैब में काम करते थे। और दोनों का निवास स्थान भी एक ही सोसाइटी में कुछ ही दूरी पर था।
आज डॉ. मलिक ने डॉ. खुराना को सुबह-सुबह अपने घर में बुलाया और किसी आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में वे डॉ. खुराना से कुछ आवश्यक बात करना चाहते थे। डॉ. खुराना सुबह-सुबह तैयार होकर डॉ. मलिक के घर पर आ गए। बल्कि डॉ. खुराना ने आज का नाश्ता डॉ. मलिक के घर पर ही करने का प्लान बनाया था।
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डॉ. खुराना और डॉ. मलिक दोनों घर के लॉन में बैठकर आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में बात करने वाले थे। डॉ मलिक ने डॉ. खुराना की तरफ चाय का कप बढ़ाते हुए अपने नए प्रोजेक्ट के बारे में बात करनी प्रारंभ की। डॉ खुराना ने डॉ. मलिक से पूछा " हां तो डॉ. मलिक आप मुझे अपने आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में कुछ बात करने चाहते थे" उसमें ऐसा क्या खास है कि आज आपने मुझे इतनी सुबह-सुबह यहां बुला लिया?
डॉ. खुराना और डॉ. मलिक दोनों घर के लॉन में बैठकर आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में बात करने वाले थे। डॉ मलिक ने डॉ. खुराना की तरफ चाय का कप बढ़ाते हुए अपने नए प्रोजेक्ट के बारे में बात करनी प्रारंभ की। डॉ खुराना ने डॉ. मलिक से पूछा " हां तो डॉ. मलिक आप मुझे अपने आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में कुछ बात करने चाहते थे" उसमें ऐसा क्या खास है कि आज आपने मुझे इतनी सुबह-सुबह यहां बुला लिया?
क्या है आखिर ये नया प्रोजेक्ट ?
डॉ. मलिक ने डॉ. खुराना को बताया कि मैं आने वाले एक
ऐसे प्रोजेक्ट के ऊपर काम कर रहा हूं जो आने वाली पीढियां और मानव सभ्यता को बदल
कर रख देगा। " ऐसा क्या खास है उसे प्रोजेक्ट में"? डॉ. खुराना ने आश्चर्य भरी नजर से डॉ. मलिक की तरफ देखते हुए पूछा।
डॉ. मलिक एक लंबी गहरी सांस लेते हुए बोले "मैं एक ऐसे केमिकल प्रोजेक्ट
पर काम कर रहा हूं जो मृत्यु के ऊपर अपना कंट्रोल कर सके।
क्या?
डॉ. खुराना एकदम से उछल पड़े और डॉ. मलिक को बड़ी
हैरत भरी निगाहों से देखकर बोले " यह क्या बोल रहे हो डॉ. मलिक ? मृत्यु पर कंट्रोल? क्या कभी ऐसा हो सकता है की मौत पर
किसी का कंट्रोल हो? यह आज आप कैसी बातें कर रहे हैं?
डॉ मलिक गंभीर होकर बोले- नहीं डॉ. खुराना मैं आपसे कोई मजाक नहीं कर रहा हूं। मेरा जो यह नया प्रोजेक्ट है वह इसी विषय पर है कि मृत्यु पर कैसे कंट्रोल किया जाए ? और एक बार अगर हमने मृत्यु पर कंट्रोल करना सीख लिया तो इस संसार में कोई भी अकाल मृत्यु नहीं मरेगा। अतः मेरा जो "मृत्यु पर कंट्रोल" करने का जो प्रोजेक्ट है ,वह अब लगभग पूर्ण होने वाला है।
और मैंने उसका पूरा फार्मूला अपनी डायरी में लिख लिया है। हम जब कल लैब में चलेंगे तो मैं आपको उस फार्मूले के बारे में बता दूंगा। अभी फिलहाल मुझे मार्केट जाना है क्योंकि श्रीमती जी ने मार्केट से कुछ अर्जेंट सामान मंगाया है। "हाँ चलो" डॉ. खुराना अचंभित एवं विषमयकारी निगाहों से डॉ मालिक को देखते हुए बोले। हाँ चलो मुझे में जाना है। चलो दोनों साथ चलते हैं।
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पर डॉ. खुराना अभी भी डॉ. मलिक की बातों को लेकर बहुत चिंतित थे। मार्केट की ओर जाते वक्त वह बड़े गंभीर रूप से सोच रहे थे कि आखिर डॉ. मलिक ने यह कैसा प्रोजेक्ट तैयार किया है ? मृत्यु के ऊपर कंट्रोल? भला आज तक मौत को कोई कंट्रोल कर सका? जिसकी मौत आनी होगी वह अपने समय पर आएगी ही आएगी। हम मानव भला उसमें कैसे अपना इंटरफेयर कर सकते हैं?
खैर डॉ. मलिक एक जीनियस साइंटिस्ट हैं अगर वह इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं तो निश्चित ही उन्होंने इसका तोड़ निकाल लिया होगा। अब सच्चाई तो कल लैब में जाकर ही पता चलेगी। और दोनों वैज्ञानिक आपस में बातें करते हुए बाजार की तरफ चल पड़े।
जब साइंटिस्ट पर हुआ हमला
अचानक बाजार में एक पागल सी दिखने वाली औरत ने जिसके
कपड़े फटे हुए थे, गंदे थे , मैले
-कुचैले चले थे, बाल गंदे और बिखरे हुए थे। उसने
अचानक डॉ. मलिक पर पत्थर मारकर हमला कर दिया । डॉ.
मलिक बाल-बाल उस पागल औरत के हमले से बाह गए। तो
डॉ. खुराना ने पूछा कौन है यह बदतमीज औरत? थे डॉ. मलिक बोले अरे
रहने दो। यह एक पागल औरत है। इसका दिमागी संतुलन खराब है और यह अक्सर यहां इस बाजार में घूमती रहती है।
उस पर ध्यान मत दो डॉ खुराना जल्दी कदम बढ़ाओ।
यह अक्सर आते-जाते लोगों पर पत्थर फेंकना शुरू कर देती है। कभी कभी तो यह बदहवास होकर किसी के पीछे भी भागना शुरू कर देती है। यह पूरी तरह पागल और मेंटली डिस्टर्ब है. पता नहीं यहां कहाँ से आयी है। आगे चलकर दोनों ने बाजार से कुछ जरूरी सामान खरीदा और घर की तरफ चल पड़े।
और इस तरह एक हफ्ता बीत गया दोनों वैज्ञानिक
अपने-अपने काम में बहुत व्यस्त थे। डॉ.
खुराना एक दिन सुबह-सुबह बाजार से गुजर रहे थे यह वही जगह थी जहां पर कुछ दिन पहले
डॉ. मलिक पर एक पागल औरत ने हमला किया था। कुछ
दूर आगे चलने पर डॉ. खुराना को भीड़ नजर आई।
कोतुहलवश डॉ. खुराना उस भीड़ की तरफ बढे तो उन्होंने देखा कि वह पागल औरत वहां पर मृत पड़ी हुई है। पूछने पर पता चला कि इस पागल औरत को आज सुबह एक आवारा सांड ने टक्कर मार दी थी जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो गई। डॉ. खुराना उस पागल औरत की मौत पर अफसोस जताते हुए आगे बढ़ गए। और अपना काम करके घर वापस आ गए। और डॉ. मलिक आज भी अपनी लाइफ में अपनी लैब में उस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे थे।
आखिर मौत पर विजय प्राप्त कर ही ली ?
एक दिन बाद डॉ. मलिक ने डॉ. खुराना को एक खुशखबरी
सुनाई। "डॉ खुराना आज मैं आपको ऐसी खबर
देने वाला हूं जिसको सुनकर आप उछाल जाएंगे" डॉ.
खुराना बोले " भई ऐसी भी क्या खबर है जिससे मैं उछाल
जाऊंगा" ? डॉटर मालिक बोले "मैंने आज
अपने प्रोजेक्ट को फाइनल झंडी दे दी है और आज मेरा प्रोजेक्ट कंप्लीट हो गया
है"।
मैंने मौत पर विजय प्राप्त कर ली है हा हा हा हा हा हा हा. मैंने अपना वह फार्मूला आज पूरा बना लिया है। डॉ मलिक को जोर-जोर से हँसता हुआ देख, डॉ खुराना थोड़ा चिंतित हो गए कि यह आज क्या बोल रहे हैं ? कि मैंने मौत पर विजय प्राप्त कर ली है ? यह तो बहुत गंभीर विषय है। भला कोई मौत पर विजय कैसे प्राप्त कर सकता है ? खैर डॉ मालिक जीनियस वैज्ञानिक हैं तो कुछ न कुछ तो होगा ही। वे बोले - "डॉ. मलिक मैं कल दोपहर तक आपके लैब में आऊंगा और आपके इस प्रोजेक्ट को अपनी आंखों से देखूंगा तभी मैं आपकी इस बात पर यकीन कर सकता हूं।
"बिल्कुल डॉ. खुराना बिल्कुल आप आओ और मेरी लैब में देखो कि किस तरह मैंने मौत पर विजय प्राप्त कर ली है"। "अब मैं दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनूँगा और इस फार्मूला को अपने मुंह मांगे दाम में जिसको चाहूं मैं बेच सकता हूँ। सरकार से भी मैं इसके लिए कीमत वसूल करूँगा"।
दूसरे दिन डॉ. खुराना अपने मन में यही बात लिए डॉ.
मलिक की लैब की तरफ बढ़ते हैं। और मन ही मन यह सोचते हैं कि आखिर इस प्रोजेक्ट का
रिजल्ट कैसा होगा ? क्या वाकई में डॉ. मलिक ने मौत पर
विजय प्राप्त कर ली? और यदि सच्चाई में अगर उन्होंने
मौत पर विजय प्राप्त कर ली है तो यह विज्ञान के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
डॉ मलिक किस तरह से प्रूफ करेंगे की मौत पर विजई प्राप्त कर ली गई है। और यही
सोचते हुए वह डॉ. मलिक की लैब की तरफ बड़े.
परंतु यह क्या ? जैसे ही वह डॉ. मलिक के लैब की सीढ़ियों की तरफ बढ़ रहे थे उनको सीढ़ी की एक तरफ वही पागल औरत दिखी जो अक्सर बाजार में लोगों पर पत्थर मारा करती थी और जिसने एक दिन डॉ. मलिक पर भी पत्थर से हमला किया था। वह वहां पर टहल रही थी वह भी जिंदा? डॉ. खुराना उस पागल औरत को यहां पर जिंदा देखकर बड़े हैरान थे और परेशान भी थे क्यूंकि अभी एक दिन पहले ही डॉ खुराना ने इसे मृत अवस्था में बाजार में देखा था।
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डॉ खुराना असमंजस में पड़ गए और सोचने लगे कि आखिर यह पागल औरत जो कि कल मेरे सामने बाजार में मृत पड़ी हुई थी यहां पर आज जिंदा कैसे हो सकती है? क्या यह मेरी आंखों का धोखा है या कोई सपना है? डॉ खुराना इसी उधेड़बुन में लगे हुए थे कि डॉ. मलिक ने उनको ऊपर से आवाज दी - "डॉ. खुराना यहां आइये। आपको मैं दिखाता हूं कि मेरा प्रोजेक्ट कैसे सफल रहा" ?
मरे हुए को किया ज़िंदा
डॉ खुराना असमंजस में पद गए और सोचने लगे कि आखिर यह
पागल औरत जो कि कल मेरे सामने बाजार में मृत पड़ी हुई थी यहां पर आज जिंदा कैसे हो
सकती है? क्या यह मेरी आंखों का धोखा है या कोई सपना है?
डॉ खुराना इसी उधेड़बुन में लगे हुए थे कि डॉ. मलिक ने उनको ऊपर से आवाज दी -
"डॉ. खुराना यहां आइये। आपको मैं दिखाता हूं कि मेरा प्रोजेक्ट कैसे सफल
रहा" ?
डॉ खुराना उस पागल औरत को आश्चर्य भरी नजरों से देखते हुए ऊपर सीढ़ियों की तरफ बड़े और डॉ. मलिक के लैब के अंदर उन्होंने प्रवेश किया. डॉ मालिक बोले -क्यों डॉ.? आपने अभी-अभी क्या देखा ? डॉ खुराना , उनकी तरफ देख कर कुछ बोलने ही वाले थे कि डॉ मालिक बोल उठे - "हाँ हाँ मुझे पता है कि आप क्या सोच रहे हो और क्या बोलना चाहते हो" ?
"तो जो आप सोच रहे हो बिल्कुल सही सोच रहे हैं डॉ. खुराना"। "इस मरी हुई पागल औरत को मैंने ही अपने केमिकल रिएक्शन वाले फॉर्मूले से ज़िंदा किया है"। "और इसकी लाश को मोरचरी से निकालने के लिए मुझे काफी मेहनत और खर्च करना पड़ा"। "पर मेरे लिए वो उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना यह है कि मैंने इसे ज़िंदा कर दिखाया"। "हाँ डॉ खुराना मैंने कर दिखाया" , "मैं अब शक्तिशाली बन जाऊँगा। हा हा हा हा। डॉ मालिक पागलों कि तरह हंस रहे थे और डॉ खुराना उन्हें अजीब से निगाहों से देख रहे थे।
डॉ. मालिक पुनः गरजे - "हां यह पागल औरत जो कल
मौत की आगोश सो गई थी पर आज इसे मैंने अपने केमिकल फार्मूला से जो कि मेरे
प्रोजेक्ट का एक हिस्सा था इतने सालों से मैं जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था जिस
केमिकल पर मैं काम कर रहा था वह केमिकल मैंने आज तैयार कर लिया है ।
और इस केमिकल की मदद से मैंने इस अमृत औरत को आज जिंदा कर दिया है"।
और इस केमिकल की मदद से मैंने इस अमृत औरत को आज जिंदा कर दिया है"।
डॉ. खुराना ने पूछा -" ये आखिर हुआ कैसे ? मलिक
बोले - "मेरे फॉर्मूले ने मृत कोशिकाओं को एक लम्बे समय के लिए रिचार्ज कर
दिया है जिसमे ह्रदय और मष्तिष्क से लेकर शरीर कि अन्य कोशिकाएं पुनः रिचार्ज होकर
जीवित हो जाती हैं"।
अब बताओ डॉ. खुराना कैसा लगा मेरा सरप्राइज ? कैसा लगा मेरा प्रोजेक्ट? डॉ खुराना को जैसे काटो तो खून नहीं। उनको अभी भी यकीन नहीं आ रहा था कि यह पागल औरत जो कल मेरे सामने मृत पड़ी हुई थी आज अच्छी खासी मेरे सामने चल रही है?
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डॉ. खुराना ने पूछा - इसकी डिटेलिंग क्या है डॉ. मालिक ? डॉ. मलिक बोले सब्र करो डॉ. खुराना मैं सब बताऊंगा। यह केमिकल फार्मूला इतना सरल नहीं है कि मैं आपको मुंह जुबानी बता दूँ। इसकी पूरी डिटेल मैंने अपनी डायरी में लिखी हुई है और साथ ही साथ मेरे कंप्यूटर में इसका विवरण लिखा हुआ है।
मैं उस डायरी का कुछ अंश आपको बता सकता हूं क्योंकि यह फार्मूला मेरा जीवन का सबसे अहम फार्मूला है और यह मैं किसी को इतनी आसानी से नहीं बता पाऊंगा। अभी तो शाम होने को है। कल दोबारा आएंगे और लैब में मैं आपको इस फार्मूले के बारे में कुछ दो-चार बाते बताऊंगा. डॉ. खुराना बोले ठीक है हम कल आकर इस फार्मूले के बारे में जानेंगे।
और यह कहते हुए दोनों डॉ. अपने-अपने घर वापस आ गए। दूसरे दिन डॉ. खुराना से सब्र नहीं हो रहा था। कब सुबह हो और वह कब तैयार होकर डॉ. मलिक के साथ उनके लैब जाएं और उस केमिकल फार्मूला के बारे में जाने। बस इसी उधेड़बुन में डॉ. खुराना लगे हुए थे। सुबह जल्दी तैयार होकर डॉ. खुराना डॉ. मलिक के घर गए और उन्हें आवाज दी । परंतु डॉ. मलिक की पत्नी ने बोला कि वह आज सुबह ही लैब के लिए चले गए हैं।
डॉ. खुराना को थोड़ा अजीब सा लगा कि आज बगैर मेरे वे कैसे लैब चले गए जबकि हमारी कल बात हुई थी कि हम दोनों साथ लैब जाएंगे और उस केमिकल फार्मूला के बारे में बात करेंगे। खैर उन्होंने सोचा कि चलो मैं भी अब लैब के लिए निकलता हूं और वहां डॉ. मलिक से बात करूँगा। जैसे ही वह लैब की तरफ जाने लगे लैब उनके मोबाइल फोन की घंटी बज गई सामने से जो फोन आया वह बहुत डॉ. मलिक की लैब के बैक एंड ऑफिस से था।
आख़िरी वक़्त पर ये क्या हुआ ?
उन्होंने फोन उठाकर जैसे ही हेलो बोला उधर से घबराई
हुई और कंपकपाँती आवाज में ऑफिस के स्टाफ ने बोला - "डॉ. खुराना आप जल्दी से
लिए यहां डॉ. मलिक के लैब में आ जाइये। यहां
बहुत भयानक आग लग गई है और इस आग में डॉ. मलिक और उनकी लैब पूरी तरह नष्ट हो गए
हैं। मुझे यह कहकर बड़ा दुख हो रहा है कि इस भयानक आग में डॉ.
मलिक अब नहीं रहे।
और जैसे ही डॉ. खुराना ने सुना कि डॉ. मलिक अब इस दुनिया में नहीं रहे हड़बड़ाहट में लैब कि तरफ रवाना हो गए है। और जैसे ही वह लैब में पहुंचे वहां का मंजर देख उनकी रूह कांप गयी। डॉ. मलिक की लैब धू-धू के जल रही थी। आग की लपटें मानो आसमान को छू रही थी। और डॉ. मलिक की डेड बॉडी का सिर्फ जला हुआ कंकाल ही उन्हें वहाँ दिखा। डॉ खुराना ने उनकी कलाई पर बंधी हुई घड़ी से उन्हें पहचाना।
फायर ब्रिगेड ने जब आग बुझाई तब जाकर डॉ. खुराना ने उनकी लैब के अंदर जाकर देखा। अंदर का मंजर बहुत ही भयानक था। कुछ भी चीज वहां साबुत नहीं बची थी। डॉ. खुराना ने चारों तरफ नजर घुमाई तो देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि कुछ भी नहीं बचा है। तभी डॉ. खुराना की नजर बगल पर गिरी एक डायरी पर पड़ी। डॉ. खुराना बड़ा अचंभित थे कि जिस भयानक आग में पूरी लैब तहस-नहस हो गई उसे भयानक आग में यह कागज की डायरी कैसे बच गई ?
आखिर मौत एक सबक सीखा गयी
वह उस डायरी की तरफ बड़े और उन्होंने उसे उठाया तो
उसके ऊपर लिखा हुआ था "मौत पर विजय का केमिकल फार्मूला" डॉ. खुराना समझ गए यह वही डायरी है जिसमें डॉ. मलिक ने उस केमिकल फार्मूला के
बारे में लिखा है। जिससे कि वह मृत शरीर को वापस
जिंदा कर सकते हैं।
डॉ. खुराना ने वह डायरी जब खोली तो उसके अंदर जितने भी पेज थे सब जलकर खाक हो चुके थे. मौत पर विजय पाने का फार्मूला डॉ. मलिक के साथ ही जलकर खाक हो चुका था। कुछ भी इनफार्मेशन डॉ खुराना के हाथ नहीं लगी। यहां तक कि डॉ मालिक का कंप्यूटर भी पूरी तरह से ख़ाक हो चुका था। उसमे से कुछ भी डाटा रिट्रीव नहीं हो सकता था।
और आज यह मौत डॉ.मलिक को अपने साथ ले उड़ी और
साथ में ले गई मौत पर विजय प्राप्त करने का फार्मूला। और
छोड़ गयी डॉ. खुराना को असंख्य प्रश्नो के साथ जो जीवन पर मौत के बारे में डॉ.
खुराना को याद दिलाते रहेंगे कि "मेरे ऊपर विजय प्राप्त करने कि सोचना भी
मत"
कहानी का सार -
इस काल्पनिक कहानी का सार यह है कि मानव को अपनी प्राकृतिक सीमायें नहीं लांघनी चाहिए। प्रकृति ने हमें जितना दिया है और जैसा भी दिया है हमें उसी में संतुष्ट एवं खुश रहना चाहिए। मानवों को कभी भी प्रकृति के नियमों के साथ छेड़-छाड़ नहीं करनी चाहिए वरना प्रकृति इसका दंड भी देने को सज रहती है।
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सामान्य कहानियां
Very nice story
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